गणित के इक्के-दुक्के जादूगर शेष हैं आज। एक जादूगर और चला गया। गणित के लेखे-जोखे से हट कर साहित्य के पन्नों में अपना नाम दर्ज़ करवा दिया। प्रवक्ता शशि शर्मा! आज शशि शर्मा जी हिंदी के प्रवक्ता हो लिए। गणित की रूप सज्जा अब हिंदी का साहित्य महकाएगी। कुछ भी कहो, ‘निराला’ और ‘पंत’ में अब मैथ्स के इनपुट्स नज़र आएंगे। महादेवी वर्मा की ‘गोरा’ की मृत्यु का अब जमा घटाव किया जायेगा। ‘चारु चंद्र की चंचल किरणे, खेल रही अब जल थल में’ में अब अनुप्रास अलंकार के होने के साथ साथ मैदान की लम्बाई एवं चौड़ाई नापी जाएगी, और तदोपरांत एक रूपए प्रति मीटर के हिसाब से बाड़ लगायी जाएगी। हिसाब के हिसाब से आप अत्योत्तम थे, हिंदी में भी आपके उत्तम प्रयत्नों की दरकार है। खुश रहो! भावुक होना लाज़मी था आपका। भावुक तो आज वो बच्चे भी होंगे जो आप के मैथ्स की ही तर्ज़ समझते थे!
सुंदर लिखते हैं आप
शुक्रिया